Prashant Publications

My Account

समाज निर्माण में हिन्दी एवं अंग्रेजी सहित्य का योगदान

The Role of Hindi and English Literature in Formation of Society

Authors: 

ISBN:

SKU: 9789385021343
Marathi Title: Samaj Nirman Main Hindi Evam Engreji Sahityaka Yogdan
Book Language: Hindi
Published Years: 2015
Edition: First
Category:

350.00

  • DESCRIPTION
  • INDEX

देश-प्रदेश में स्थित राजकीय व्यवस्था एवं प्रशासकीय व्यवस्था से अगर कोई गलती हो जाती है तो उसका असर समाज के सम्मुख रखने का कार्य प्रसारमाध्यमों के द्वारा होता है। तो सहित्यक ार अपने साहित्य में शब्द – बध करके समाज के प्रत्येक व्यक्ती तक साहित्य के माध्यम से पहुचाकर उचित बदलाव लाने का प्रयास करता है। जागतीकिकरण के इस काल में वैद्यकीय, अभियांत्रीक ी, तकनीकी, कृषि, औद्यागिक आदि सभी क्षेत्र में विज्ञान एवं तंत्रज्ञान से उचित मुकाम हासिल करते हुए विज्ञान एवं तंत्रज्ञान का उपयोग केवल मानव की प्रगति के लिए ही हो यह वेश्विक एवं सामाजिक मूल्य हर एक राष्ट्र ने आत्मसात करना आवश्यक है। इसीलिए विज्ञान एवं तंत्रज्ञान की प्रगति के साथ-साथ हर एक मानव मन पर सामाजिक मूल्यो का संस्कार होने के लिए साहित्य अत्यावश्यक है जो दीर्घकाल तक समाज में अपना प्रभाव बनाये रखता है। साहित्य चाहे किसी भी प्रादेशीक भाषा में क्यों न हो,
भाषा केवल एक माध्यम है पर साहित्य एक गहन विचार है। इसीलिए प्रीावी साहित्य विचार समाज में स्थापित करने के लिए मराठी, हिन्दी एवं अंग्रेजी सहित्यकारों ने इसमे अपना अमूल्य योगदान दिया है जो आज-तक प्रवाहित है और निरंतर जारी रहेगा। आज भी समाज में अनेक अनिष्ठ रुढी-परम्पराएँ स्थित है जैसे – दहेज प्रभा, उसके लिए नारी पर होनेवाला अत्याचार, उसका आर्थिक स्वातंत्र्य, नारी का सामाजिक स्थान, स्त्रीभ्रुणहत्या, नारी सुरक्षा, इन सवालो के साथ – साथ समाज में स्थित अमिर – गरीब के बीच की खाई, सर्व शिक्षा अभियान, ग्रामिण विकास, सु शिक्षत बेरोजगारी का प्रश्न, देश में चल रहा भ्रष्टाचार, न्याय, स्वातंत्र्य, हक एवं कर्तव्य आदि नानाविध समस्याओं का बोलबाला है। जो कभी खत्म नहीं होगी लेकिन सामाज जागृती से वह कम की जा सकती है। उसके लिए साहित्यकार का सहित्य महत्वपूर्ण साबीत हो सकता है। उसके लिए साहित्यकार का साहित्य महत्वपूर्ण साबीत हो सकता है। साहित्यकार अपने साहित्य, महाकाव्य, उपन्यास, नाटक, आत्मकथा, कविता, कहानी, गज़ल, रेखाचित्र, संस्मरण, डायरी, रिपोर्ताज, लघु कथा, निबंध, लेख, वार्तालेखन आदि के माध्यम से समाज में जागृती निर्माण कर सकते है। इसीलिए साहित्य यह समाज का अभिन्न अंग है जिससे साहित्यकार समाज प्रबोधन और उद्बोधन करता है। जिसमें आूँचलिक वंचितो, दलित, आदिवासीयों की जीवन पद्धतीयों का चित्रण साहित्यकार प्रस्तुत करता है। समाज में सिथत अच्छी-बुरी रीतियाँ एवं समस्याओं को प्रस्तुत करता है। लोकसाहित्य के माध्यम से अच्छी रुढीयाँ, परम्पराएँ, संस्कृति का अविष्कार सहित्यकार समाज के सामने रखता है। साहित्यकार साहित्यद्वारा नीति-अनीति का पाठ पढता है। मानवता धर्म की सीख वह अपने सहित्य के द्वारा देता है जिससे समाज में राष्ट्रीय एकात्मता की संकल्पना दृढ बनती है । साहितय के कारण जागतिक समाज व्यवस्था का ज्ञान होता है। देश की ऐतिहासिक घटनाओं का ज्ञान मिलता है जिससे भविष्यकालीन दिशा का मार्ग भलिभाँती समज में आता है। साथ ही समकालिन राजकीय परिस्थितियों की जानकारी भी मिलती है। इतना ही नहीं तो साहित्य के कारण राज्य घटना एवं मानवी हक तथा कर्तव्यों का बोध भी बडी गहराई से होता है।

Samaj Nirman Main Hindi Evam Engreji Sahityaka Yogdan

RELATED PRODUCTS
You're viewing: समाज निर्माण में हिन्दी एवं अंग्रेजी सहित्य का योगदान 350.00
Add to cart
Prashant Publications
Shopping cart close