व्याकरण शिक्षण : 1.1. हिंदी मानक वर्तनी और मानक गिनती, 1.2. विराम चिन्ह, ध्वनी विचार, 1.3. शब्द की परिभाषा एवं प्रकार – स्त्रोत के आधारपर, 1.4. शब्दसिध्दी – उपसर्ग, प्रत्यय, समास, संधी, 1.5. शब्दभेद – विकारी और अविकारी, 1.6. वाक्य – परिभाषा और प्रकार (अर्थ और रचना के आधारपर), 1.7. व्याकरण का अर्थ, महत्त्व और उद्देश, 1.8. व्याकरण शिक्षण की विधियाँ, 1.9. व्याकरण शिक्षण के मार्गदर्शक तत्त्व
गद्य और पद्य शिक्षण : 2.1. गद्य का अर्थ एवं महत्त्व, 2.2. पद्य का अर्थ एवं महत्त्व, 2.3. गद्य अध्यापन के -अंतर्गत विविध साहित्यिक विधाओं के उद्देश, निबंध, कहानी, नाटक/एकांकिका, 2.4. पद्य शिक्षण के उद्देश, 2.5. गद्य शिक्षण का पाठ नियोजन, 2.6. पद्य शक्षण की विधियाँ और पाठनियोजन
रचना शिक्षण : 3.1. निबंध लेखन, 3.2. कहानी लेखन, 3.3. पत्र लेखन, 3.4. कल्पना विस्तार, 3.5. रचना से तात्पर्य, 3.6 रचना शिक्षण के उद्देश, 3.7. रचना शिक्षण की विधियाँ, 3.8 रचना के प्रकार, 3.9. रचना कार्य का संशोधन
शिक्षक – व्यावसायिक विकास : 4.1. हिंदी अध्यापक के लिए विशेष गुण, 4.2. हिंदी अध्यापन की समस्याएँ, 4.3. पाठ्यपुस्तक – महत्त्व, आदर्श पाठ्यपुस्तक की विशेषताएँ, 4.4. हिंदी शिक्षण मे दृकश्राव्य साधनों का महत्त्व, स्वरुप एवं प्रकार, 4.5. हिंदी भाषा विकास के लिए आवश्यक उपक्रम- भित्तिपत्रिका, नियतकालिक, प्रदर्शनी, विविध स्पर्धाएँ, भाषा के खेल, दिनविशेष, सरस्वती यात्राएँ, आदि.