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1980 के बाद हिन्दी साहित्य

Authors: 

ISBN:

SKU: 978-93-85021-19-0
Marathi Title: 1980 Ke Bad Hindi Sahitya
Book Language: Marathi
Published Years: 2015
Edition: First
Category:

395.00

  • DESCRIPTION
  • INDEX

21 वी सदी में ग्रामीण और आदिवासियों के संवैधानिक अधिकारों पर दृष्टिपात करते हुए आज की सदी में ग्रामीण और आदिवासियों का चिंतन आवश्यक है। स्वातंत्र्यपूर्व काल आज तक कई साहित्यकारों ने अपनी कलम चलाई है। विशेष रूप में उपन्यास सम्राट प्रेमचंद का समग्र साहित्य ग्राम जीवन के विविध अंगोंसे परिपूर्ण है। डॉ. रामदरश मिश्र और डॉ. विवेकी राय के ग्राम जीवन के सच्चे चितेरे है। 1980 बाद भी मिथिलेश्वर, मैत्रेयी पुष्पा, चित्रा ुदगल, मार्कण्डेय, लक्ष्मीनारायण लाल, गोविंद मिश्र, संजीव, केदारनाथ सिंह, महाश्वेतादेवी, फणेश्वरनाथ रेणु, कृष्णा सोबती, नागार्जुन, डॉ. शिवप्रसाद सिंह, राही मासूम रझा, विद्यासागर नौटियाल, मधुकर सिंह, शेखर जोशी, मोहनदास नैमिशराय, ओमप्रकाश वाल्मिकी, सरिता बडाइक, मलखान सिंह, अरूण कमल, लीलाधर जगूडी, लीलाधर मंडलोई आदि रचनाकारों ने अपनी रचनाओं में जीवंत ग्राम जीवन साकार किया है।
1980 के बाद भारतीय ग्राम जीवन में आये बदलावों और उकी चुनौतियों को अभिव्यक्त करनेवाले हिन्दी साहित्य का विचार-विमर्श करने का प्रयास किया गया है। ग्रामीण जीवन को लेकर जो अहं सवाल और समस्याएँ हमारे समक्ष खडे है, उन समस्याओं पर और सवालों पर हिन्दी साहित्यकारों ने किस हद तक लेखनी उठाई है उसे जानने का प्रयास भी किया गया है। इसके साथ-साथ ग्रामीण जनजीवन, कथावस्तु, पात्र, भाषा, प्रतिक, उद्देश्य, संस्कृति मेें भी जो बदलाव आये है उन्हें भी उजागर करने का प्रयास हुआ है।

1980 Ke Bad Hindi Sahitya

  1. ‘1980 के बाद के हिंदी उपन्यासों में ग्राम जीवन’ (जगदीशचंद्र के उपन्यासों के विशेष संदर्भ में) – डॉ. शोभा दिव्यवीर
  2. रामदरश मिश्र के आंचलिक उपन्यासों में सांस्कृतिक चित्रण – डॉ. मेदिनी शशिकांत अंजनीकर
  3. ग्राम जीवन के बदलते आयाम (डॉ. रामदरश मिश्र के उपन्यास ‘बीस बरसे’ के संदर्भ में) – डॉ. शेख हसीना
  4. “1980 के बाद के ग्रामीण हिंदी उपन्यासों में चित्रित लोकगीतों का अनुशीलन” – डॉ. प्रकाश शंकरराव चिकुर्डेकर
  5. डॉ. उषा यादव के उपन्यास में ग्राम जीवन में शैक्षणिक वातावरण – डॉ. अनिल साळुंखे
  6. बीस बरस : ग्राम विमर्श का सच्चा बयान – डॉ. विठ्ठलसिंह ढाकरे
  7. रामदरश मिश्र के ‘बीस बरस’ उपन्यास में ग्रामीण जीवन संवेदना – डॉ. पिरू आर. गवली
  8. ‘इदन्नमम’ उपन्यास में चित्रित बुंदेली ग्राम्य जीवन – डॉ. पूनम त्रिवेदी
  9. हिन्दी उपन्यासों में चित्रित ग्रामीण समाज (1980 के बाद) – प्रा. विक्रम. बा. वारंग
  10. ‘सूअरदान’ ग्रामीण उपन्यास में नये मूल्यों की स्थापना – प्राचार्य डॉ. शकुंतला चव्हाण
  11. रामदरश मिश्र के उपन्यास ‘बीस बरस’ में ग्राम जीवन – डॉ. सुरेश साळुंखे
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