Prashant Publications

कथा संचयन के विमर्श

Authors: 

ISBN:

SKU: 9789388113427
Marathi Title: Katha Sanchayan ke Vimarsh
Book Language: Hindi
Published Years: 2018
Pages: 89
Edition: First
Ebook Link: https://www.kopykitab.com/Katha-Sanchayan-Ke-Vimarsh-by-Pra-Narayan-Atkore
Category:

95.00

  • DESCRIPTION
  • INDEX

कहानी साहित्य की लोकप्रिय विधा है जनमानस को प्रभावित करने की इसमें अद्भुत क्षमता है। यह मानव जीवन के आदर्शों तथा उसकी जटिलताओं को अभिव्यक्ति प्रदान करती है। यह निर्विवाद है कि कहानी कहना, सुनना और सुनाना मनुष्य जाति की आदिम प्रवृत्ति है। मानव सभ्यता के विकास के साथ-साथ उसके कहने और सुनने के ढग में भी परिवर्तन होता गया है। इस प्रकार आगे चलकर इस प्रकार, जातक, हितोपदेश, पंचतंत्र आदि की कहानियों की रचना हुई है।

कहानी कहने की प्रवृत्ति मनुष्य में चिरकाल से विद्यमान रही है। अपने विचारों को प्रेषित करने की भाषायी क्षमता के कारण वह अपने अनुभवों को दुसरो से कहने के लिए स्वाभाविक रूप से प्रेरित होता रहा है। आपबीती और जगबीती को सुनने-सुनाने की परम्परा सभ्यता की विकास-यात्रा के साथ-साथ सभी देशों की सांस्कृतिक निधि रही है। वक्ता तथा श्रोता की अपनी रुचि के अनुसार युग विशेष की घटनाओं का वर्णन आनेवाली पीढियों का मौलिक रूप में मिलता गया और उनमें परिवर्तन-परिवर्धन भी होते रहे। इस प्रकार वैदिक युग की कथाओं से लेकर आज तक की कहानियाँ और लोककथाएँ किसी-न-किसी परम्परा से जुडी रही है। आधुनिक युग में विषय के साथ चरित्र-वैविध्य और अभिव्यक्ती-पक्ष की ओर भी यथेष्ट ध्यान दिया गया। आज ‘कहानी’ से अभिप्राय गद्य की विधा-विशेष से है जिसने बीसवीं शताब्दी में अनेक मोड लिए हैं और जो वर्तमान साहित्य-रूपों में सबसे अधिक लोकप्रिय है।

Katha Sanchayan ke Vimarsh

  1. सद्गति – मुंशी प्रेमचन्द
  2. पाजेब – जैनेन्द्र कुमार
  3. तस्वीर – भीष्म साहनी
  4. नौकरी पेशा – कमलेश्वर
  5. सौदा – मोहन राकेश
  6. गदल – रांगेय राघव
  7. जिनावर – चित्रा मुद्गल
  8. सरहद के इस पार – नासिरा शर्मा
RELATED PRODUCTS
Prashant Publications
Shopping cart close