प्रतिनिधि लघुकथाएँ एक अध्ययन
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₹125.00
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कहानी कहने की प्रवृत्ति मनुष्य में चिरकाल से विद्यमान रही है। आपबीती और जगबीती को सुनने-सुनाने की परम्परा सभ्यता की विकास-यात्रा के साथ-साथ सभी देशों की सांस्कृतिक निधि रही है। कहानी साहित्य की लोकप्रिय विधा है। कथा की परम्परा बहुत पुरानी है। पहले के जमाने में जनसाधारण का ज्ञान संकुचित और सिमीत था, अतः उन्हें बहुत ही सरस व लोचदार तरीके से समझाने की आवश्यकता थी। इसका निर्वाह कहानी ने बडी सफलता से किया। पहले कथा और बाद की कहानी काफी लम्बी और वर्णनात्मक हुआ करती थीं किन्तु कालान्तर में इनका कलेवर संकुचित होता गया, क्योंकि एक तरफ जनसाधारण के ज्ञान का विस्तार होता गया तो दुसरी और उसकी व्यस्तता भी बढती गई, समय का अभाव भी होता गया। अतः कथा अब लघु आकार की होने लगी और लघुकथा के नाम से ख्यात होने लगी।
इस पुस्तक में कहानी एवं लघुकथा का उद्भव एवं विकास, कहानी एवं लघुकथा के तत्वों का विवेचन, कहानी एवं लघुकथा में अंतर और हिंदी की प्रतिनिधिक 20 लघुकथाओं का संकलन किया गया है। जो शोधार्थी एवं विद्यार्थियों को लिऐ महत्वपूर्ण है।