अभिव्यक्ति कौशल के विविध आयाम
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₹195.00
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साहित्य को समाज का दर्पण कहा जाता है, जो मानव जीवन की अथरयात्रा को दर्शाता है| यह अनेक अक्षरों के सौंदर्य से सजता है और मनुष्य के भाव और चिंतन को विकसित करता है| हिंदी भाषा केवल एक माध्यम नहीं, बल्कि यह पूरे राष्ट्र को एकसूत्र में पिरोने वाला महत्वपूर्ण तत्व है|
हिंदी ने ज्ञानार्जन के साथ-साथ मानवीय संवेदनाओं और सामाजिक संप्रेषण का कार्य किया है| यह मनुष्य को अपने अतीत को समझने और भविष्य की दिशा तय करने में मदद करती है| शिक्षा प्रणाली में हिंदी का समन्वय मानवीय जीवन मूल्यों को बढ़ावा देता है|
भूमंडलीकरण और तकनीकी प्रगति ने हिंदी भाषा के उपयोग को बढ़ाया है| सोशल मीडिया की क्रांति ने संवाद के नए आयाम खोले हैं, जिससे रोजगार के नए अवसर भी पैदा हुए हैं| लेखन कौशल, जैसे ई-मेल, ब्लॉग, और तकनीकी लेखन, अब आवश्यक हो गए हैं|
लघुकथा, जो कि आज के साहित्य में अपना एक विशेष स्थान रखती है, मनुष्य की भावनाओं का प्रतिनिधित्व करती है| लेखक द्वय ने लघुकथाओं का विवेचन सरल भाषा में किया है, जिससे पाठक गहराई से समझ सकें|
यह पुस्तक छात्रों को अभिव्यक्ति कौशल और लेखन की विभिन्न विधाओं में निपुण बनाने में मदद करेगी| यह न केवल उनकी भाषा कौशल को विकसित करेगी, बल्कि उन्हें जीवन की मूल्यात्मकता का भी बोध कराएगी| लेखक द्वय का यह प्रयास सराहनीय है, जो विद्यार्थियों के लिए एक अनमोल संसाधन साबित होगा|
■ प्रस्तावना
■ भूमिका
■ अभिव्यक्ति कौशल के विविध आयाम
■ संक्षेपण (सार लेखन)
■ पल्लवन लेखन
■ प्रतिनिधि लघुकथाएँ – कहानी लेखन
- अंगहीन धनी – भारतेन्दु हरिश्चंद्र
- एक टोकरीभर मिट्टी – माधवराव सप्रे
- अधिकारी पाकर – माखनलाल चतुर्वेदी
- बड़ा क्या है ? – हजारी प्रसाद द्विवेदी
- राष्ट्र का सेवक – प्रेमचंद
- यदि – आ. जानकीवल्लभ शास्त्री
- आटा और सीमेंट – रामनारायण उपाध्याय
- ़फर्क – विष्णु प्रभाकर
- गधे का विश्वास – अयोध्या प्रसाद गोयलीय
- अपना-पराया – हरिशंकर परसाई
- आग्रह – सतीश राठी
- आम आदमी – शंकर पुणताम्बेकर
- इंसानियत – चित्तरंजन भारती
- कील – पृथ्वीराज अरोडा
- डर – रामयतन प्रसाद यादव
- रिश्ता – चित्रा मुद्गल
- विश्वास – डॉ. सतीशराज पुष्करणा
- सुहाग-व्रत – डॉ. शकुंतला किरण
- मिसाल – शील कौशिक
- किसान – कमलेश भारतीय
- पति-परमेश्वर – डॉ. नरेन्द्रनाथ लाहा
■ मौखिक अभिव्यक्ति
■ आधार ग्रंथ