• आधुनिक हिंदी काव्यः भाव एवं विचार सौंदर्य

    आधुनिक हिंदी काव्य की धारा निरंतर प्रवहमान रही है। नव-नवीन विषयों की अभिव्यक्ति इसमें दृष्टिगोचर होती है। संवेदना के विविध आयामों के दर्शन हमें आधुनिक हिंदी काव्य में परिलक्षित होते हैं। इस काव्यधारा को विकसित करने में अनेक कवियों ने अपना मौलिक योगदान दिया है। जिनमें मैथिलीशरण गुप्त, निराला, पंत, दिनकर, बच्चन, नागार्जुन, अज्ञेय, भवानी प्रसाद मिश्रा, दुष्यंतकुमार, धूमिल, उदय प्रकाश, कात्यायनी, अनामिका, सुशीला टाकभौरे एवं निर्मला पुतुल विशेष उल्लेखनीय हैं। इस ग्रंथ के अंतर्गत इन कवियों की कविताओं में निहित भाव एवं विचार सौंदर्य पर विस्तार से प्रकाश डाला गया है। इसमें कोई संदेह नहीं है कि यह ग्रंथ आधुनिक हिंदी काव्य की विशेषताओं जानने-समझने में उपादेय सिद्ध होगा।

    Aadhunik Hindi Kavya : Bhav and Vichar Saundrya

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  • कथेतर गद्य विधाएँ : विविध विमर्श

    गद्य साहित्य और पद्य साहित्य यह साहित्य की दो शैलियाँ हैं। गद्य साहित्य के दो रूप है- कथात्मक गद्य और कथेतर गद्य। साहित्य की सार्थकता में निबंध, संस्मरण, रेखाचित्र, जीवनी, आत्मकथा, रिपोर्ताज, यात्रा वर्णन, व्यंग्य, डायरी, सम्बोधन आदि कथेतर गद्य विधाओं का योगदान भी महत्त्वपूर्ण हैं। चरित्रगत अध्ययन एवं वैचारिक लेखन की दृष्टि से निबंध, आत्मकथा, यात्रा-वर्णन, जीवनी आदि विधाएँ काफी महत्त्वपूर्ण है।
    ‘कथेतर गद्य विधाएँ : विविध विमर्श’ इस पुस्तक में वासुदेवशरण अग्रवाल- ‘राष्ट्र का सेवक’ (निबंध), अमृतलाल नागर- ‘तीस बरस का साथी : रामविलास शर्मा’ (संस्मरण), रामवृक्ष बेनीपुरी- ‘रजिया’ (रेखाचित्र), पाण्डेय बेचन शर्मा ‘उग्र’- ‘धरती और धान’ (जीवनी अंश), महात्मा गांधी- ‘चोरी और प्रायश्चित’ (आत्मकथा अंश), रांगेय राघव- ‘अदम्य जीवन’ (रिपोर्ताज), सचिदानन्द हीरानन्द वात्सायन ‘अज्ञेय’- ‘पतझर एक पात’ (यात्रा वर्णन), शंकर पुणतांबेकर- ‘एक गोप कक्ष’ (व्यंग्य), हरिवंशराय बच्चन- ‘प्रवास की डायरी’ (डायरी) तथा स्वामी विवेकानन्द- ‘सम्बोधन: युवाओं से’ (सम्बोधन) आदि कथेतर गद्य विधाओं की रचनाओं की समीक्षा की हैं। इन रचनाओं की समीक्षा से पूर्व मैंने रचनाकारों का जीवन परिचय एवं कृतियों का परिचय दिया हैं।

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  • मीडिया लेखन

    आधुनिक काल में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में हमने बहुत प्रगति की है। आज विज्ञान ने हमें नित नवीन, सुविकसित संचार माध्यम प्रदान किए हैं। वर्तमान युग में पत्र-पत्रिकाएँ, आकाशवाणी, दूरदर्शन, कम्प्यूटर, व्हॉस्अप, फेसबुक, ट्वीटर, इंस्ट्राग्राम आदि जैसे जनसंचार के माध्यम अत्यंत प्रभावी रूप से सूचना के प्रसारण का काम कर रहे हैं। हमारी आवश्यकता के अनुसार हम इन संचार माध्यमों का उपयोग करते हैं। लाखों किलोमीटर दूर रहनेवाले विभिन्न जाति, वर्ग, संप्रदाय और भाषाओं के लोग अब एक साथ आसानी से एक दूसरे के साथ इन माध्यमों के माध्यम से संपर्क कर सकते हैं। आधुनिक युग में मीडिया का सामान्य अर्थ समाचार पत्र-पत्रिकाओं, टेलीविजऩ, रेडियो, इंटरनेट आदि से लिया जाता है। मीडिया के लिए लेखन, साहित्यिक लेखन से अलग है। पत्रकारिता के पाठक या दर्शक वर्ग की समझ साहित्यिक पाठक वर्ग की तुलना में कहीं ज्यादा सामान्य होती है।
    ‘मीडिया लेखन’ पुस्तक अध्ययन की सुविधा के दृष्टि से पाच अध्यायों में विभाजित किया हैं। प्रथम अध्याय में पत्रकारिता के स्वरूप, महत्त्व, आवश्यकता एवं उसके प्रकारों का विवेचन किया गया है। द्वितीय अध्याय विज्ञापन के लेकर है जिसमें विज्ञापन को स्वरूप, महत्त्व, आवश्यकता एवं विज्ञापन के प्रकारों को स्पष्ट किया गया है। तृतीय अध्याय प्रिंट मीडिया पर केन्द्रित है। इस अध्याय में फीचर लेखन, यात्रा वृत्तांत, साक्षात्कार एवं पुस्तक समीक्षा का विवेचन किया गया है। चतुर्थ अध्याय इलेक्ट्रॉनिक मीडिया को लेकर है। इस अध्याय में रेडियो, दूरदर्शन, फिल्म एवं पटकथा लेखन की जानकारी दी गयी है। अंतिम अध्याय अर्थात पंचम अध्याय में सोशल मीडिया का विवेचन व्हाट्सप, फेसबुक, ट्वीटर, इंस्टाग्राम आदि उसके माध्यमों द्वारा किया गया हैं। प्रस्तुत पुस्तक विद्याथियों के साथ-साथ हिन्दी प्रेमी तथा अध्ययन कर्ताओं को भी निश्चित रूप से उपयुक्त साबित होगी।

    Mediya Lekhan

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