दुष्यंत कुमार के साहित्य का पुनर्मूल्यांकन
Authors:
Tag:
Dr Jijabrao Patil
ISBN:
SKU:
9789384478391
Marathi Title: Dushyant Kumar Ke Sahity Ka Punarmulyankan
Book Language: Hindi
Published Years: 2017
Edition: First
Category:
हिंदी
₹500.00
- DESCRIPTION
- INDEX
Dushyant Kumar Ke Sahity Ka Punarmulyankan
- दुष्यंत कुमार की ग़ज़लों में चिंतन के विविध आयाम – डॉ. मधु खराटे
- ‘एक कंठ विषपायी’ की प्रतीकात्मकता – डॉ. गिरीश महाजन
- दुष्यन्त की कविता-संवेदना की साक्ष्य – डॉ. श्रीमती कामिनी बी. तिवारी
- आधुनिक चेतना का अवलंब लेकर नए आयामों को उपस्थित करता : ‘एक कंठ विषपायी’– डॉ. सुरेश तायडे
- दुुष्यंत कुमार की ग़ज़लों में अभिव्यक्त आशावादी चिंतन – डॉ. सुनील कुलकर्णी, डॉ. प्रिती एस. सोनी
- यथार्थवादी उपन्यासकार दुष्यंतकुमार – डॉ. जे. व्ही. पाटिल
- समकालीन कविता की मुख्यधारा – ग़ज़ल (दुष्यंत कुमार के विशेष संदर्भ में) – डॉ. महेंन्द रघुवंशी
- इमानदार अध्यापक की पीड़ा को व्यक्त करनेवाला उपन्यास-‘छोटे-छोटे सवाल’– डॉ. संजयकुमार शर्मा
- हिंदी ग़ज़ल के हस्ताक्षर दुष्यंत कुमार: चिंतन के विविध आयाम – डॉ. संजय विक्रम ढोडरे
- दुष्यंत कुमार का काव्य संग्रह ‘जलते हुए वन का वसन्त’ में व्यक्त विशेषताएँ – डॉ. आर. के. जाधव
- दुष्यंत कुमार की ग़ज़लों में वेदनानुभूति – डॉ. अशोक शामराव मराठेे
- उपन्यासकार दुष्यंत कुमार – डॉ. सुनीता नारायणराव कावळे
- दुष्यंत कुमार के काव्य में सामाजिक चिंतन : एक अनुशीलन – डॉ. शालिनी ब. वाटाणे
- दुष्यंत कुमार की ग़ज़लों में जीवन के विविध आयाम – डॉ. प्रमोद गोकुळ पाटिल
- दुष्यंत कुमार का ग़ज़ल-संग्रह ‘साये में धूप’ में प्रतीक विधान – डॉ. अभयकुमार आर. खैरनार
- दुष्यंतकुमार की गज़लों में सामाजिकता – डॉ. गौतम भाईदास कुंवर
- दुष्यन्त का उपन्यास ‘छोटे-छोटे सवाल’ ’घाव करे गंभीर’ – डॉ. रेखा पी. गाजरे
- दुष्यंत कुमार के ‘साये में धूप’ में व्यक्त सामाजिक चिंतन – डॉ. मृदुला वर्मा
- दुष्यंत कुमार का काव्यनाटक-एक कंठ विषपायी – डॉ. स्वाती रमेश नारखेडे
- दुष्यंत कुमार की ग़ज़लों में आम आदमी की अभिव्यक्ति… – प्रा. अजित चव्हाण
- कालजयी रचनाकार दुष्यंत कुमार – डॉ. मनोहर हिलाल पाटिल
- नये सत्य का सृजन-पर्व: एक कंठ विषपायी – प्रा. ईश्वर पी. ठाकुर
- परंपरा और नए मूल्योेंं के बीच का संघर्ष : एक कंठ विषपायी – डॉ. अमृत खाडपे
- दुष्यंत कुमार द्वारा लिखित कविता संग्रह ‘जलते हुए वन का वंसत’ – प्रा. अनील बी. सूर्यवंशी
- दुष्यन्त की ग़ज़लों में चित्रित समसामयिक बोध – प्रा. विजय एकनाथ सोनजे
- दुष्यंत कुमार की ग़ज़लों में वास्तविकता – डॉ. सविता चौधरी
- साहित्यकार दुष्यंंत कुमार जनक्रान्ति के महाकवि-दुष्यंत कुमार – लक्ष्मीकांत मिश्र
- दुष्यंत कुमार – सामाजिक भावबोध के कवि (साये में धूप के संदर्भ में) – डॉ. सुनील एम. पाटिल
- हिन्दी गज़ल की अलग पहचान- ‘साये मेें धूप’ – प्रा. शेख जाकीर एस
- दुष्यन्त के ग़ज़लों में व्यक्त आम आदमी – डॉ. राजेश भामरे
- दुष्यंत कुमार की ग़ज़लों में संवेदना शिल्प – डॉ. आशा दत्तात्रय काबंळे
- हिंदी ग़ज़ल के प्रणेता – दुष्यंत कुमार – डॉ. अशफ़ाक़ इब्राहिम सिकलगर
- समाज को दिशा प्रदान करनेवाला ग़ज़लकार : दुष्यंतकुमार – डॉ. दिपक विश्वासराव पाटील
- दुष्यन्त कुमार की ग़ज़ल में सामाजिक बोध (साये में धूप के विशेष परिप्रेक्ष्य में) – डॉ. वनिता त्र्यंबक पवार
- दुष्यंत कुमार की ग़ज़लों में अभिव्यक्त सामाजिक समस्याएँ (‘साये में धूप’ के विशेष संदर्भ में) – डॉ. अनिता नेरे (भामरे)
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