आधुनिक हिंदी काव्य की धारा निरंतर प्रवहमान रही है। नव-नवीन विषयों की अभिव्यक्ति इसमें दृष्टिगोचर होती है। संवेदना के विविध आयामों के दर्शन हमें आधुनिक हिंदी काव्य में परिलक्षित होते हैं। इस काव्यधारा को विकसित करने में अनेक कवियों ने अपना मौलिक योगदान दिया है। जिनमें मैथिलीशरण गुप्त, निराला, पंत, दिनकर, बच्चन, नागार्जुन, अज्ञेय, भवानी प्रसाद मिश्रा, दुष्यंतकुमार, धूमिल, उदय प्रकाश, कात्यायनी, अनामिका, सुशीला टाकभौरे एवं निर्मला पुतुल विशेष उल्लेखनीय हैं। इस ग्रंथ के अंतर्गत इन कवियों की कविताओं में निहित भाव एवं विचार सौंदर्य पर विस्तार से प्रकाश डाला गया है। इसमें कोई संदेह नहीं है कि यह ग्रंथ आधुनिक हिंदी काव्य की विशेषताओं जानने-समझने में उपादेय सिद्ध होगा।
Aadhunik Hindi Kavya : Bhav and Vichar Saundrya
- सखि, वे मुझसे कहकर जाते – मैथिलीशरण गुप्त
- तो़डती पत्थर – सूर्यकान्त त्रिपाठी ‘निराला’
- सुख-दुःख – सुमित्रानंदन पंत
- गीतकार मर गया – रामधारी सिंह ‘दिनकर’
- जो बीत गई – हरिवंशराय ‘बच्चन’
- प्रेत का बयान – नागार्जुन
- सूनी-सी साँझ एक – सच्चिदानंद हीरानंद वात्सायन ‘अज्ञेय’
- गीत-फरोश – भवानी प्रसाद मिश्र
- गाँधी जी के जन्मदिन पर – दुष्यन्त कुमार
- प्रौ़ढ शिक्षा – सुदामा पाण्डेय धूमिल
- पिता – उदय प्रकाश
- सात भाइयों के बीच चम्पा – कात्यायनी
- स्त्रियाँ – अनामिका
- खोज की बुनियाद – सुशीला टाकभोरे
- अपने घर की तलाश – निर्मला पुतुल
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