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हिंदी

यात्रा साहित्य का इतिहास

(‘मेरी जापान यात्रा’ का अनुशीलन)

Rs.135.00

भारतीय समाज और साहित्य में स्वतंत्रता के बाद आमूलाग्र परिवर्तन हुआ| परिवर्तन की तेज आँधी ने भारतीय समाज को बहुत ज्यादा प्रभावित किया है| साहित्य में नई विधाओं का जन्म हुआ वैसे-वैसे कई साहित्यकारों ने अपनी तुलिकाओं से इनमें तरह-तरह के रंग भरे| उसी तरह हिंदी साहित्य की महत्त्वपूर्ण विधा यात्रा-साहित्य भी है| कालानुरूप आधुनिक युग के सभी साहित्यकारों ने इस विधा को स्वीकार करते हुए उसके महत्त्व को भी प्रतिपादित किया है|
मानव जीवन स्वयं एक यात्रा है| देश-विदेश के कई घुमक्कड प्राचीन काल से यात्राएँ करते आ रहे हैं| यात्रा का मानव विकास एवं संस्कृतियों के आदान-प्रदान में बहुत महत्त्व है| ‌‘मेरी जापान यात्रा’ यह यात्रा-साहित्य राष्ट्रसंत श्री तुकडोजी महाराज इनके भारत के प्रतिनिधि के रूप में विश्वधर्म-विश्वशांति परिषद, जापान में सम्मिलित होने का यात्रा-वृत्तांत है| जापान देश की प्रगति का सार भी श्री राष्ट्रसंत तुकडोजी महाराज ने बीच-बीच में प्रस्तुत किया है और भारत देश के प्रगति की कामन की है|

Yatra Sahitya Ka Itihas

  1. यात्रा-साहित्य विधा : सैद्धान्तिक विवेचन : 1.1 यात्रा साहित्य : अर्थ, परिभाषा, तत्त्व, प्रकार, 1.1.1 यात्रा साहित्य की परिभाषा, 1.1.2 यात्रा साहित्य के तत्त्व, 1.1.3 यात्रा साहित्य के प्रकार, 1.2 यात्रा साहित्य का प्रयोजन, महत्त्व एवं प्रमुख विशेषताएँ, 1.2.1 यात्रा साहित्य का प्रयोजन, 1.2.2 यात्रा-साहित्य का महत्त्व, 1.2.3 यात्रा साहित्य की प्रमुख विशेषताएँ, 1.3 यात्रा साहित्य विधा का अन्य विधाओं से परस्पर सम्बन्ध
  2. यात्रा-साहित्य विधा का विकासात्मक अध्ययन : 2.1 यात्रा साहित्य का विकास, 2.1.1 भारतेन्दु पूर्व युग, 2.1.2 भारतेन्दु युग (1868-1900), 2.1.3 द्विवेदी युग (1900-1920), 2.1.4 छायावादी युग (1920-1940), 2.1.5 छायावादोत्तर युग/स्वातंत्र्योत्तर युग तथा समकालीन यात्रा साहित्य (1940 – आजतक), 2.2 प्रमुख यात्रा साहित्यकार तथा उनके यात्रा वर्णनों का सामान्य परिचय, 2.2.1 माधव प्रसाद मिश्र (1871-1907), 2.2.2 स्वामी सत्यदेव परिव्राजक (1879), 2.1.3 राहुल सांकृत्यायन (1893-1963), 2.1.4 सेठ गोविन्ददास (1896-1974), 2.2.5 डॉ. धीरेन्द्र वर्मा (1897-1973), 2.2.6 डॉ. भगवतशरण उपाध्याय (1910-1982), 2.2.7 सच्चिदानन्द हीरानन्द वात्स्यायन ‘अज्ञेय’ (1911-1987), 2.2.8 डॉ. धर्मवीर भारती (1925-1997), 2.2.9 डॉ. विश्वनाथ प्रसाद तिवारी (1940), 2.3 अन्य यात्रा साहित्यकार एवं उनकी रचनाएँ, 2.3.1 यशपाल (1903-1976), 2.3.2 रामधारी सिंह ‘दिनकर’ (1908-1974), 2.3.3 पं. गोपाल प्रसाद व्यास (1915-2005), 2.3.4 डॉ. नगेन्द्र (1915-1999), 2.3.5 प्रभाकर माचवे (1917-1991)
  3. ‘मेरी जापान यात्रा’ का अनुशीलन : 3.1 राष्ट्रसंत श्री तुकडोजी महाराज : जीवन एवं रचना परिचय, 3.1.1 राष्ट्रसंत तुकडोजी महाराज के जीवन के अन्य आयाम, 3.1.2 रचना परिचय, 3.2 ‘मेरी जापान यात्रा’ का तात्त्विक विवेचन एवं विश्लेषण, 3.3 ‘मेरी जापान यात्रा’ का आशय, विषय एवं प्रमुख उद्देश्य, 3.4 ‘मेरी जापान यात्रा’ में चित्रित यथार्थता तथा प्रत्यक्ष अनुभव कथन, 3.5 ‘मेरी जापान यात्रा’ की कलात्मकता तथा पात्र एवं चरित्रांकन, 3.6 ‘मेरी जापान यात्रा’ मे चित्रित परिवेशगत चित्रण तथा, सांस्कृतिक आदान-प्रदान, 3.7 ‘मेरी जापान यात्रा’ का प्रासंगिकता एवम् महत्त्व, 3.8 ‘मेरी जापान यात्रा’ की प्रमुख विशेषताएँ, 3.9 ‘मेरी जापान यात्रा’ का शिल्पगत अध्ययन एवं विश्लेशण, 3.9.1 भाषा, 3.9.2 शैली

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