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हिंदी

काव्यशास्त्र : सामान्य तथा भारतीय एवं पाश्चात्य

(सामान्य काव्यशास्त्र : भाग 1 एवं 2)

  • ISBN: 9789394403307
  • Kavyashastra Samanya Tatha Bharatiya Evan Pashchatya
  • Published : November 2022
  • Book Language : Hindi
  • Edition : First
  • Format : Paperback
  • Pages : 284
  • Category:
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Rs.395.00

Kavyashastra Samanya Tatha Bharatiya Evan Pashchatya

  1. काव्य तथा साहित्य की संस्कृत, अंग्रेजी और हिंदी की प्रचलित परिभाषाएँ काव्य का महत्व : काव्य की विभिन्न परिभाषाएँ (संस्कृत, अंग्रेजी और हिंदी परिभाषाएँ) : 1) काव्य की संस्कृत परिभाषाएँ : आचार्य मम्मट की काव्य-परिभाषा, आचार्य विश्वनाथ की काव्य-परिभाषा, पंडितराज जगन्नाथ की काव्य-परिभाषा, आचार्य भामह की काव्य-परिभाषा 2) काव्य की अंग्रेजी परिभाषाएँ : वर्ड्‌‍स्वर्थ की काव्य-परिभाषा, मैथ्यू अर्नाल्ड की काव्य-परिभाषा, कार्लाइल की काव्य-परिभाषा, ड्रायडन की काव्य-परिभाषा, कालरिज की काव्य-परिभाषा, रस्किन की काव्य-परिभाषा, हडसन की काव्य-परिभाषा 3) काव्य की हिंदी (मध्यकालीन) परिभाषाएँ : मध्यकालीन कवि चिंतामणी की काव्य परिभाषा : कुलपति मिश्र द्वारा प्रस्तुत काव्य-परिभाषा, आधुनिक काल की काव्यविषयक हिंदी परिभाषाएँ : आचार्य रामचंद्र शुक्ल, कवि जयशंकर प्रसाद, पंडित रूपनारायण पाण्डेय; नई कविता के परिप्रेक्ष्य में काव्यपरिभाषा.
  2. काव्य के हेतु और काव्य-प्रयोजन : अ) काव्य के हेतु (काव्य के कारण) : 1) प्रतिभा 2) व्युत्पत्ती 3) अभ्यास; आ) काव्य के प्रयोजन : आधुनिक हिंदी विद्वानों के मतानुसार- काव्यप्रयोजन : 1) अर्थप्राप्ति 2) यश या कीर्ति की प्राप्ति 3) लोककल्याण 4) व्यवहारज्ञान 5) प्रेमनिर्मिती 6) अशुभ निवारण 7) मानवहित 8) कान्तासम्मित उपदेश 9) आत्मानंद की प्राप्ति 10) चतुष्फल प्राप्ति; पाश्चात्य काव्यप्रयोजन, भारतीय काव्यशास्त्र एवं पाश्चात्य काव्यशास्त्र.
  3. काव्य के तत्व : काव्य के तत्व : 1) भावतत्व 2) बुद्धितत्व 3) कल्पनातत्व एवं 4) शैलीतत्व.
  4. काव्य के भेद : काव्य के भेद : काव्यभेद के अर्थात वर्गीकरण – आधार : अ) श्रवणीयता आ) दृश्यात्मकता; श्रव्यकाव्य और दृश्यकाव्य में अंतर, श्रव्यकाव्य और दृश्यकाव्य में समानताएँ; श्रव्यकाव्य के भेद : 1) गद्यकाव्य 2) पद्यकाव्य 3) चंपूकाव्य; पद्य-काव्य की विभिन्न विधाओं का सविस्तर विश्लेषण : अ) प्रबंध काव्य आ) मुक्तक काव्य; प्रबंध काव्य और मुक्तक काव्य में अंतर, प्रबंध काव्य के भेद : 1) महाकाव्य (भारतीय काव्यपरंपरानुसार) : स्वरूप और तत्त्व : 1) महाकाव्य का कथानक 2) पात्र अथवा चरित्र चित्रण 3) युगबोध 4) रस 5) छंद योजना 6) सर्गबद्धता 7) उद्देश्य; 2) खण्डकाव्य : मुक्तक काव्य और उसके प्रकार : 1) प्रगीत मुक्तक 2) प्रकीर्ण मुक्तक; 1) गीतिकाव्य : गीतिकाव्य का स्वरूप : 1) संगीतात्मकता 2) संवेगात्मकता 3) आत्मनिष्ठ वैयक्तिकता 4) रागात्मकता 5) स्वच्छन्दता 6) भावात्मकता 7) संक्षिप्तता; गीतिकाव्य के प्रकार; 2) गज़ल : गज़ल के अंग : 1) शेर 2) मिसरा 3) काफिया 4) रदीफ.
  5. अलंकार : काव्य में अलंकारों का स्थान : 1) काव्य में अलंकार अनिवार्य हैं 2) काव्य में अलंकार आवश्यक हैं परंतु अनिवार्य नहीं; अलंकारों का सोदाहरण परिचय : अ) शब्दालंकार आ) अर्थालंकार; 1) यमक अलंकार 2) अनुप्रास अलंकार 3) लेष अलंकार 4) उपमा अलंकार 5) दृष्टांत अलंकार 6) विरोधाभास अलंकार 7) अतिशयोक्ति अलंकार 8) संदेह अलंकार 9) भ्रांतिमान अलंकार 10) उदाहरण अलंका; अन्य अलंकार : 1) रूपक अलंकार 2) उत्प्रेक्षा अलंकार 3) अपह्युति अलंकार 4) अर्थान्तरन्यास अलंकार 5) प्रतीप अलंकार.
  6. शब्दशक्ति : शब्दशक्ति के भेद : 1) अभिधा 2) लक्षणा 3) व्यंजना.
  7. गद्य के भेद : 1) उपन्यास (स्वरूप एवं तत्व) : उपन्यास की परिभाषाएँ; उपन्यास के तत्व : 1) कथावस्तु 2) पात्र या चरित्रचित्रण 3) कथोपकथन 4) देश-काल-वातावरण 5) शैली 6) उद्देश्य 2) कहानी (स्वरूप एवं तत्व) : कहानी के तत्व : 1) कथावस्तु 2) पात्र और चरित्रचित्रण 3) कथोपकथन 4) शैली 6) उद्देश्य; उपन्यास और कहानी में अंतरअन्य गद्य विधाएँ; निबंध : स्वरूप, निबंध की परिभाषाएँ; निबंध के तत्व : 1) स्वच्छंदता 2) वैयक्तिकता 3) वैचारिक प्रगल्भता 4) अनुभूति की निजता 5) शैलीगत रोचकता संस्मरण (स्वरुप और तत्व) : संस्मरण के तत्व : 1) वर्ण्य विषय 2) व्यक्तिविशेष का चरित्रचित्रण 3) परिस्थितीवर्णन 4) शैली 5) उद्देश रेखाचित्र (स्वरूप, विशेषताएँ एवं अन्य विधाओं से तुलना) : स्वरूप; रेखाचित्र की विशेषताएँ आत्मकथा (स्वरूप एवं तत्व) : स्वरूप; आत्मकथा के तत्व : 1) कथानक 2) पात्र चरित्रचित्रण 3) युगबोध 4) शैली 5) उद्देश्य जीवनी : विशेषताएँ : 1) घटनाओं का वर्णन 2) नायक के गुणदोषों का संतुलित वर्णन 3) कल्पना में प्रामाणिकता 4) लेखक की तटस्थता एकांकी (स्वरूप, तत्व एवं नाटक से तुलना) : स्वरूप, परिभाषा; एकांकी के तत्व : 1) कथानक 2) पात्र 3) कथोपकथन या संवाद 4) अभिनय 5) देश-काल-वातावरण 6) भाषाशैली 7) उद्देश्य; एकांकी और नाटक में अंतर, माध्यम के आधार पर नाटक के भेद; रंगमंच नाटक, रेडियो नाटक, दूरदर्शन नाटक.
  8. रस : परिभाषा एवं स्वरूप; रस के अंग : 1) स्थायी भाव 2) विभाव 3) अनुुभाव 4) व्यभिचारी भाव; प्रमुख रसों का परिचय : 1) श्रृंगार रस 2) वीर रस 3) करूण रस 4) हास्य रस.
  9. आलोचना : आलोचना का स्वरूप; आलोचना की हिंदी परिभाषाएँ; आलोचना की अंग्रेजी परिभाषाएँ; आलोचना की आवश्यकता; आलोचक के गुण- : 1) आलोच्य विषय का पूर्ण ज्ञान 2) कृति और कृतिकार के प्रति सहानुभूति 3) निष्पक्षता 4) अभिव्यक्ति कुशलता 5) निर्णयात्मकता.
  10. छंद : काव्य में छंदों का स्थान : आवश्यक या अनिवार्य?; अर्थ; परिभाषा और स्वरूप : कात्यायन की परिभाषा; काव्य में छन्दों का स्थान; छंद के विभिन्न अंग : 1) पाद 2) मात्रा 3) वर्ण 4) गण 5) यति 6) गति 7) तुक; छंदभेद : अ) मात्रिक छंद आ) वर्णिक छंद; अ) प्रमुख मात्रिक छंद : 1) दोहा 2) चौपाई 3) सोरठा 4) रोला 5) हरिगीतिका 6) गीतिका 7) बरवै 8) छप्पय 9) कुण्डलिया; आ) प्रमुख वर्णिक छन्द : 1) इंद्रवज्रा 2) शिखरिणी 3) भुजंगप्रयात 4) वसंततिलका 5) कवित्त 6) घनाक्षरी (रूपघनाक्षरी) 7) शार्दूलविक्रीडित 8) मंदाक्रांता 9) सवैया (मत्तगयंद).
  11. भारतीय काव्यशास्त्र की परंपरा और स्वरूप : अ) संस्कृत काव्यपरंपरा आ) हिंदी काव्यशास्त्र परंपरा; भारतीय काव्यशास्त्र का स्वरूप : 1) रस सिद्धान्त 2) आचार्य शंकुक की ‌‘रसनिष्पत्ति’ विषयक नई मान्यताएँ; काव्य की दृष्टिसे भट्टनायक के ‌‘रसनिष्पत्ति’ विषयक विचार, साधारणीकरण का सिद्धान्त, रस सिद्धान्त में साधारणीकरण का महत्त्व, ‌‘साधारणीकरण’ के संबंध में आधुनिक हिंदी विचार, हिन्दी की नई कविता और रससिद्धान्त.
  12. अलंकार सिद्धान्त : अलंकार शब्द की व्युत्पत्ति, अलंकार की परिभाषाएँ, अलंकारविषयक हिंदी के आचार्यों का प्रतिपादन, अलंकार और रस, काव्य में अलंकारों का स्थान, काव्य में अलंकार अनिवार्य नही, आवश्यक.
  13. रीति सिद्धान्त : ‌‘रीति’ शब्द की व्युत्पत्ति और अर्थ, रीति की परिभाषा, रीति के विविध पर्याय अथवा आधार, रीतिभेदों का संक्षिप्त विवेचन : 1) वैदर्भी रीति 2) गौडी रीति 3) पांचाली रीति 4) लाटी रीति.
  14. ध्वनि-सिद्धांत : ‌‘ध्वनि’ शब्द की व्युत्पत्ति, ‌‘ध्वनि’ शब्द की परिभाषा, ध्वनि और स्फोट सिद्धान्त, ध्वनि और शब्दशक्ति; ध्वनिकाव्य के भेद : 1) अविवक्षित वाच्य ध्वनिकाव्य 2) विवक्षितान्यपरवाच्य ध्वनिकाव्य; ध्वनि के भेद : 1) अभिधामूला ध्वनि 2) लक्षणामूला ध्वनि 3) असंलक्ष्यक्रम व्यंग्यध्वनि 4) संलक्ष्यक्रम व्यंग्यध्वनि; ध्वनिसिद्धान्त का महत्त्व.
  15. वक्रोक्ति सिद्धान्त : वक्रोक्ति की परिभाषा, कुंतकपूर्व वक्रोक्ति, वक्रोक्ति सिद्धान्त का स्वरूप, वक्रोक्ति के भेद : 1) वर्णविन्यास वक्रता 2) पदपूर्वार्द्ध वक्रता 3) पदपरार्द्ध वक्रता 4) वाक्यवक्रता 5) प्रकरण वक्रता 6) प्रबंध वक्रता; अन्य सिद्धान्तों के संदर्भमें महत्त्व.
  16. औचित्य सिद्धान्त : भारतीय काव्यशास्त्र में औचित्य सिद्धान्त, परिभाषा, संक्षेप.
  17. पाश्चात्य काव्यशास्त्र : विकासपरंपरा एवं स्वरूप : अ) कालवाचक विकासपरंपरा : 1) प्राचीन काल (ईसापूर्व 5 वीं से लेकर ईसापूर्व पहली शती तक) 2) मध्यकालीन पाश्चात्य काव्यशास्त्र (ईसा की प्रथम शतीसे तेरहवीं / पंद्रहवीं शती तक) 3) आधुनिककालीन पाश्चात्य काव्यशास्त्र (सोलहवीं शतीके बाद), आ) पाश्चात्य काव्यशास्त्र की नामवाचक परंपरा : तुलनात्मक दृष्टिसे भारतीय एवं पाश्चात्य काव्यशास्त्र का स्वरूप : 1) अनुकरण सिद्धान्त 2) उदात्त सिद्धान्त 3) मनोवैज्ञानिक मूल्यवाद और संप्रेषण सिद्धान्त 4) टी. एस. इलियट का निर्वैयक्तिकता सिद्धान्त और वस्तुनिष्ठ प्रतिरूपता सिद्धान्त 5) क्रोचे का अभिव्यंजनावाद 6) औचित्य सिद्धान्त; काव्यशास्त्र में विभिन्न वाद : 1) आदर्शवाद : आदर्शवाद का स्वरूप, साहित्य में आदर्शवाद का स्वरूप, 2) यथार्थवाद : स्वरूप और भेद; 3) कलावाद, 4) अस्तित्ववाद, 5) बिम्बवाद, 6) प्रतीकवाद; आलोचना : आलोचना की विभिन्न प्रणालियाँ (पद्धतियाँ) : 1) सैद्धान्तिक आलोचना 2) व्याख्यात्मक आलोचना 3) तुलनात्मक आलोचना 4) स्वच्छंदतावादी आलोचना 5) प्रगतिवादी आलोचना.

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