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लोकसाहित्यः समाज और संस्कृति

  • ISBN: 9789388769372
  • Loksahitya : Samaj Aur Sanskriti
  • Published : February 2019
  • Book Language : Hindi
  • Edition : First
  • Format :
  • Pages : 190
  • Category:
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Rs.275.00

भारतवर्ष की समग्र लोकबोलियों में श्री राम तथा सीता के आदर्शोे का ही वर्णन है । श्रीराम मे आदर्शो को जनमानस में पहुँचाने की कोशिश का जीता-जागता प्रमाण है । आज जरूरत है इन आदर्शो को अपनाने की । इसीलिए लोकसाहित्य पर नये आयाम से प्रकाश डालना बहुत जरूरी है ।

आज दुनिया में एक क्रांति बडी तेजी से फैलती जा रही है । लोक मानने लगे है कि विदेशी भाषा ही सब कुछ है । यह सच है कि ङ्गग्लोबलायजेशनफ के इस दौर में हमने पश्चिमी देशों की नकल करना तो शुरू कर दिया, उनके नियमों को नही अपनाया । पैसा ही सबकुछ समझकर विदेशी भाषा सहित्य के मोहपाश में पडे है और असली देशी भाषाओ लोकसाहित्य की उपेक्षा कर वह पिछड रहा है । विदेशी भाषा तथा दरदर्शन के विभिन्न चॅनेल्स के कारण इन तमाम परिवर्तनों का प्रभाव बच्चों पर बडे पैमाने पर पड रहा है । परिवर्तन के दुष्परिणामों को रोकने के लिए मूलभूत सोच में बदलाव लाना होगा । प्रस्तुत ग्रंथ में आपको भारतीय लोकसाहित्य का समाज तथा संस्कृति का सुदर्शन होगा ।

Loksahitya : Samaj Aur Sanskriti

  1. लोकवार्ता, लोकसंस्कृति एवं लोकसाहित्य : लोक और लोकवार्ता, ङ्गलोकफ शब्द की उत्पत्ति, व्याख्या, लोकवार्ता के प्रकार, लोकसंस्कृति की अवधारणा, साहित्य और लोक का संबंध, साहित्य का अर्थ आदि । लोकसाहित्य का अन्य सामाजिक विज्ञानों से संबंध, लोकसाहित्य की परिभाषाएँ, लोकसाहित्य के अध्ययन की समस्याऐं ।
  2. भारत में लोकसाहित्य अध्ययन का इतिहास : लोकसाहित्य के प्रमुख रूपों का वर्गीकरण, लोकसाहित्य तालिका, लोकगीतः परिभाषाऐं, निर्माण तत्व, लोकगीतों की विशेताऐं, लोकगीतों का वर्गीकरण, प्रमुख प्रकार ।
  3. लोकनाट्य : लोकनाट्य का स्वरूप, परिभाषाऐं, लोकनाट्य की परंपरा एवं प्रविधि, बनजारा लोकनाट्य के विविध रूप, हिन्दी नाटक एवं रंगमंच पर लोकनाट्यों का प्रभाव, लोकनाट्य की विशेषताऐं, अहिराणी लोकनाट्य की लोकप्रियता ।
  4. लोककथा : लोककथा का स्वरूप तथा परिभाषाऐं, उत्पत्ति विषयक सिध्दान्त, लोककथाओं का वर्गीकरण, व्रतकथा, परीकथा, नागकथा, कथारूढियाँ, अंधविश्वास की लोकथाऐं सोदाहरण प्रस्तुत ।
  5. लोकभाषा : लोकोक्ति साहित्य : लोकभाषा का स्वरूप, प्रकीर्ण लोकसाहित्य की विधाऐं, लोकोक्तियाँ या कहावतों की परंपराऐं एवं परिभाषाऐं, लोकोक्तियों की विशेषताऐं तथा वर्गीकरण, मुहावरे तथा उनका वर्गीकरण, लोकसूक्तियाँ, पहेलियाँ आदि।
  6. लोकनृत्य एवं लोकसंगीत : लोकनृत्य का उद्गम, लोकनृत्यों के नामकरण, लोकनृत्यों का वर्गीकरण सोदाहरण, बनजारा लोकनृत्य, लोकसंगीत स्वरूप, बनजारा लोकगीतों मे संगीत, लोकसंगीत में वाद्यों का बडप्पन ।
  7. उत्तर महाराष्ट्र की बोलियों का विभिन्न आँचलिक परिचय : शोधकार्य, भारतीय आर्य भाषाओं में बोली का स्थान, राष्ट्रभाषा हिन्दी, अपनी उपभाषाएँ तथा बोलियों के रुप में सर्वप्रथम, खानदेश : पूर्वेतिहास, खान्देश का भूगोल, धार्मिक, भौगोलिक परिवेश, शैक्षिक आदि।
  8. खान्देश में अहिराणी का संक्षिप्त परिचय : अहिराणी : खानदेशी भाषा, भाषिक या भाषा वैज्ञानिक, ऐतिहासिक, सामाजिक, सांस्कृतिक।
  9. खान्देशी लोकसाहित्य में लेवा पाटीदारी बोली का योगदान : लेवा पाटीदारी, कहावतें, कुलदेवता, लेवा बोली की विशेषताएँ, वही वाड्:मय – सूचना नामक, भाषाशैली।

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